सबर  
सबर अता फरमा के दिल बेसबर हुआ जाता है
राहे इश्क की मुश्किलों से बेखबर हुआ जाता है
दरिया ऐ इश्क सैलाब है दर्द ओ दुश्वारियों का
डूब के इसमें ये मगर बेकदर हुआ जाता है 

Comments

  1. उम्दा सृजन।
    सुंदर आकर्षक भाव।
    मेरे ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।

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  2. आभार। आपसे एक बार फिर जुड़कर खुशी हुई
    सादर अभिवादन।

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