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Showing posts from July, 2022

नन्हीं तितली

तितली ही तो हूं नन्हीं, निर्मल और थोड़ी निर्बल सी उड़ती फिरती यहां वहां उत्साहित मन , प्रसन्नचित सी फूल फूल और कली कली मधुकुंड से मधुकण पीती सी  उपवन के गलियारों में  अठखेलियां करती सी तितली ही तो हूं नन्हीं, निर्मल और थोड़ी निर्बल सी तुम निरखते थे उड़ना मेरा प्रसन्न मन, स्नेहसिक्त होकर सहलाते थे पंख मेरे हर्षित, हुलसित हो _होकर अचरज में भर भर जाते  जब छप जाते रंग मेरे  तुम्हारी अंगुलियों के पोरों पर तितली ही तो हूं नन्हीं, निर्मल और थोड़ी निर्बल सी पर आज ___ विस्मित हूं और थोड़ी भयभीत भी क्यों चुभने लगी हैं नजरें तुम्हारी मेरी बेफिक्र उड़ान पर डरी हूं और थोड़ी सहमी भी क्यों जकड़ने लगी हैं अंगुलियां तुम्हारी मेरे रंगीन पंखों पर मायूस हूं और घबराई सी क्यों कुटिलता बसने लगी है तुम्हारी मुस्कुराहटों पर तितली ही तो हूं नन्हीं, निर्मल और थोड़ी निर्बल सी और लो ___ धूल से अटी पड़ी हूं क्षत _विक्षत हो कर रंग तुमने पंखों से नोच लिए  अर्ध _विक्षिप्त हो कर टुकड़े टुकड़े बिखर गए रंगीन पंख मेरे पैरों तले कुचल गए ख़्वाब सुनहरे मेरे क्यों उड़ान तुमसे मेरी देखी न गई क्यों हंसी मेरी तुमसे झेली न गई क्य

समय

समय गुजरता रहा बेआवाज़ अपनी रफ़्तार से मैं अपनी रफ़्तार तेज और तेज करती रही चाहा था इक बार मुड़कर वो देखे मुझे पर वो चुपचाप अपनी चाल चलता गया  मैंने की कोशिशें अनथक उसे हराने की पर वो सहज ही मुझे हराता चला गया मैंने हवा से गति मांगी और अश्वों से रफ़्तार पर वो मुझसे कहीं आगे और आगे चला गया  सूर्यकिरण की थी सवारी और कल्पनाओं के पंख पर वो सरल चाल से दूर निकलता चला गया मन की गति को भला वो क्या हराएगा मेरी सोच को भी वो मुंह चिढ़ाता चला गया मैं नासमझ ना समझ पाई यह बात अभी तक  समय ना रुका है , ना रुकेगा किसी भी पल समय ना किसी का है, ना होगा किसी पल यह चक्र है जो बस चलता ही रहेगा  चलाता ही रहेगा...... बस चलता ही रहेगा..... __ pujapuja 

याद

चांद की बिंदिया माथे पर लगाए किरणों के गहने तन पर सजाए तारों की चूनर मुख पर ढलकाए रात सी कौंध गई तेरी याद जेहन में। धवल चांदनी की पायल पग में रुनझुन घुंघरू जुगनुओं के श्वेत कुमुदिनी सी सुगंधित, सुवासित  रात सी कौंध गई तेरी याद जेहन में। चकवी के मीठे कुंजन जैसी झरने की बूंदों सी निश्छल बहती बयार की सरगम जैसी रात सी कौंध गई तेरी याद जेहन में। ओस में भीगा मधुरम यौवन सिमटी, सकुचाती, अकुलाई पलछिन मदहोश, नशीली और नखराली सी रात सी कौंध गई तेरी याद जेहन में।। __  pujapuja 

काली घटा

                    ये ज़ुल्फ जो बेताब है छूने को तेरे रुखसार मत बांधो इन्हें और फैल जाने दो कांधों पर  ये चाहतों की वो लहरें हैं जो लहराकर  समेट लेती हैं ख्वाबों के आगोश  में झूमती, उमड़ती काली घटाओं की मानिंद  छा जाती है मेरे वजूद पर चारों ओर और उस पल ........ मैं यूंही ताकता रह जाता हूं जब  बारिश की बूंदें मोतियों सरीखी गिरती हैं  तेरे चेहरे पर फिसलती हुई तेरी जुल्फों से  तो कर दो इन्हें मुक्त और विचरने दो बेखौफ मेरे चेहरे पर, मेरी हसरतों पर और मेरे एहसास पर.......  _   pujapuja   

                                         सबर   सबर अता फरमा के दिल बेसबर हुआ जाता है राहे इश्क की मुश्किलों से बेखबर हुआ जाता है दरिया ऐ इश्क सैलाब है दर्द ओ दुश्वारियों का डूब के इसमें ये मगर बेकदर हुआ जाता है 

दोस्ती

विरानियां गुलो गुलज़ार हो गईं सन्नाटों से महक बरसने लगी दरोंदीवार खुशियों से चहकने लगी के ये मौसम यकायक खुशनुमा हो उठा बेजार दिल सुकून से भर उठा एक अरसे बाद ये दिन आया है  जब मेरे यार ने मेरा कांधा थामा है  कुर्बा है तुझ पर ये जां मेरे दोस्त कि तूने मुझे अपनी दोस्ती से नवाजा है pujapuja 2/7/2022