तनहाई


ना जाने कब और कैसे यूंही तन्हा
तन्हाई में , तन्हाइयों से बतियाते
तन्हाइयां भली सी लगने लगीं
चिड़ियों की मीठी चहचहाहट से कभी
गुनगुना उठता था मन मेरा
अब शोर सी कानों को चुभने लगी
और तन्हाइयां भली सी लगने लगीं
रंगीन ख्वाबों से सराबोर आंखें
नित नए सपनों की तलाश में
जो रात का पीछा किया करती थीं
अब रातों से खुद ही पीछा छुड़ाने सी लगी
और तन्हाइयां भली सी लगने लगीं
आईने के बोल दिल में गुरुर भरते थे कभी
तेरे इश्क़ से हम सजते संवरते थे कभी
अब अक्स खुद के ही डराने लगे
इश्क की बात से ही घबराने लगे
उदास शामें मन को भाने सी लगीं
और तन्हाइयां भली सी लगने लगीं
पतझड़ के मौसम लुभाने लगे
अश्क आंखों से यारी निभाने लगे
चांदनी भी अंगार बरसाने लगी
अब तेरी आहट भी बेगानी सी लगने लगी
और तन्हाइयां भली सी लगने लगी
ना जाने कब और कैसे यूंही तन्हा
तन्हाई में, तन्हाइयों से बतियाते
तन्हाइयां भली सी लगने लगी.....

© Puja Puja

Comments

  1. बेहद उम्दा सृजन.
    तन्हाइयां भली सी लगने लगी...

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी
      आपकी सराहना से उत्साहित हूं
      शुभ सन्ध्या

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  2. बहुत सुन्दर रचना
    बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए

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    Replies
    1. अपकी प्रेरणा से आज यहाँ हूं नीतू जी
      आभार स्वीकारें....
      शुभ सन्ध्या

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    2. आप ने हमारी बात मानी इसलिये हम आप के आभारी हैं।
      हम हमकदम-हमराही हैं। मंजिल पर साथ साथ पहुंचेंगे।
      उस कामयाबी का मजा ही कुछ और है
      जिसमें सभी मित्र एक साथ मंजिल तक पहुंचे।

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  3. वाह...
    हम हैं
    फिर ये कैसी
    है तनहाई
    नहीं हैं ...आप
    तन्हा....रहते
    हुए हमारे....
    सादर

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    Replies
    1. बहुत खूब....
      तन्हाई भली यूंही नहीं लगती
      तन्हाई में आप जो साथ हैं हमारे
      आभार यशोदा जी
      इससे खूबसूरत और क्या होगा, आपका साथ बना रहे। शुभ सन्ध्या

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  4. Replies
    1. शुक्रिया इंदिरा जी
      😘😘😘

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  5. बहुत सुंदर रचना पूजा जी ।

    मेरी तन्हाई मुझे अब रास आई
    ऐ दुनिया तेरी रंगिनियों से भरमाई ।

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    1. क्या खूब सराहा है कुसुम जी
      आपकी दो पंक्तियों में पूरी कविता समा गई.....सस्नेह शुभ सन्ध्या

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  6. बहुत सुन्दर खूबसूरत सी तन्हाई
    वाह!!!

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    1. धन्यवाद सुधा जी
      आपकी वाह मन को आनंदित कर गई
      सस्नेह शुभ सन्ध्या

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    Replies
    1. धन्यवाद श्वेता जी
      आभारी हूं रचना को मान दिया
      सस्नेह शुभ रात्रि

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  8. वाह, वाह!!बहु उम्दा ।

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    1. आभार शुभा जी
      विलम्ब हेतु क्षमा
      सुप्रभात

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