याद
चांद की बिंदिया माथे पर लगाए
किरणों के गहने तन पर सजाए
तारों की चूनर मुख पर ढलकाए
रात सी कौंध गई तेरी याद जेहन में।
धवल चांदनी की पायल पग में
रुनझुन घुंघरू जुगनुओं के
श्वेत कुमुदिनी सी सुगंधित, सुवासित
रात सी कौंध गई तेरी याद जेहन में।
चकवी के मीठे कुंजन जैसी
झरने की बूंदों सी निश्छल
बहती बयार की सरगम जैसी
रात सी कौंध गई तेरी याद जेहन में।
ओस में भीगा मधुरम यौवन
सिमटी, सकुचाती, अकुलाई पलछिन
मदहोश, नशीली और नखराली सी
रात सी कौंध गई तेरी याद जेहन में।।
__ pujapuja
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