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मातृ दिवस

आज मातृ दिवस है माँ आज तेरा महिमा मंडन होगा कहीं श्रद्धा पुष्प चढ़ेंगे, कहीं वंदन होगा आज कई पन्ने रंगे जाएंगे कई गीत और कथानक रचे जाएंगे शब्दों के आवरण से तेरा गुणगान होगा पर ---- क्या किसी को तेरे मर्म की पीड़ा का भान होगा ? जब तू निसार कर अपना लाल हज़ार आंसू पीती है अपनी जायी की पीड़ा पर मन ही मन कलपती है और टुकड़ा - टुकड़ा मरती है जब अपनों से बिसराई जाती है अपनों से ठुकराई जाती है उस विकल वेदना को सहकर मां तू मुस्काये जाती है भूल के सब दोनों हाथों से आशीष लुटाये जाती है विपदा आती जब अपनों पर तू खुद पर झेले जाती है औकात नहीं मेरे शब्दों की जो तेरा बखान करें बस इतना चाहूँ मां ! तुझसे जगमग मेरा जहान रहे ।। © Puja Puja