जिस पल तुम मीत से मितवा हुए हम खुद ही खुद से अगवा हो गए पथरीले रास्ते खुशबुओं से भर गए रीते नैनों के दामन सपनों से संवर गए होठों पर मुस्कुराहटें खिलखिलाने लगीं हँसी भी अब थोड़...
आज मातृ दिवस है माँ आज तेरा महिमा मंडन होगा कहीं श्रद्धा पुष्प चढ़ेंगे, कहीं वंदन होगा आज कई पन्ने रंगे जाएंगे कई गीत और कथानक रचे जाएंगे शब्दों के आवरण से तेरा गुणगान होगा प...
सलीके के मुखौटों के पीछे दम घुटने लगा है तहज़ीब के कपड़ों में बदन अकड़ने लगा है भलमनसाहत का बोझ असह्य होने लगा है सदाचार भी कदम कदम पर ठिठकने लगा है अच्छाई की बोरियत से बाहर निक...
काँच के टुकड़ों की महीन किरकिरी सा आंखों में चुभता विश्वास हृदय पटल पर गर्म लावे सा उबलता विश्वास सुर्ख नम होंठों पर रक्त बूंदों सा दहकता विश्वास टूटी सांसों को आस की सांस ...
ना जाने कब और कैसे यूंही तन्हा तन्हाई में , तन्हाइयों से बतियाते तन्हाइयां भली सी लगने लगीं चिड़ियों की मीठी चहचहाहट से कभी गुनगुना उठता था मन मेरा अब शोर सी कानों को चुभने ल...