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Showing posts from 2018

मितवा

जिस पल तुम मीत से मितवा हुए हम खुद ही खुद से अगवा हो गए पथरीले रास्ते खुशबुओं से भर गए रीते नैनों के दामन सपनों से संवर गए होठों पर मुस्कुराहटें खिलखिलाने लगीं हँसी भी अब थोड़...

मातृ दिवस

आज मातृ दिवस है माँ आज तेरा महिमा मंडन होगा कहीं श्रद्धा पुष्प चढ़ेंगे, कहीं वंदन होगा आज कई पन्ने रंगे जाएंगे कई गीत और कथानक रचे जाएंगे शब्दों के आवरण से तेरा गुणगान होगा प...

चलो बंद बंद खेलते हैं

सलीके के मुखौटों के पीछे दम घुटने लगा है तहज़ीब के कपड़ों में बदन अकड़ने लगा है भलमनसाहत का बोझ असह्य होने लगा है सदाचार भी कदम कदम पर ठिठकने लगा है अच्छाई की बोरियत से बाहर निक...

चांद

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चपल चांद की चंचल चन्द्रिकायें चमक रही चहुँओर चित्त चुराये चोरी चोरी चिहुंके चकवी संग चकोर     -- Puja Puja

विश्वास

काँच के टुकड़ों की महीन किरकिरी सा आंखों में चुभता विश्वास हृदय पटल पर गर्म लावे सा उबलता विश्वास सुर्ख नम होंठों पर रक्त बूंदों सा दहकता विश्वास टूटी सांसों को आस की सांस ...

तनहाई

ना जाने कब और कैसे यूंही तन्हा तन्हाई में , तन्हाइयों से बतियाते तन्हाइयां भली सी लगने लगीं चिड़ियों की मीठी चहचहाहट से कभी गुनगुना उठता था मन मेरा अब शोर सी कानों को चुभने ल...