मितवा

जिस पल तुम मीत से मितवा हुए
हम खुद ही खुद से अगवा हो गए

पथरीले रास्ते खुशबुओं से भर गए
रीते नैनों के दामन सपनों से संवर गए
होठों पर मुस्कुराहटें खिलखिलाने लगीं
हँसी भी अब थोड़ा चुलबुलाने लगी
ना जाने कब तुम जहाँ हो गए
जिस पल तुम मीत से मितवा हुए
हम खुद ही खुद से अगवा हो गए

बारिश की बूंदें शबनम सी हुईं
दर्पण की नजरें भी चंचल सी हुईं
खुद की छुअन चौंकाने लगी
पायल भी कुछ ओर धुन गाने लगी
जाने कैसे सुर सभी सधे हो गए
जिस पल तुम मीत से मितवा हुए
हम खुद ही खुद से अगवा हो गए

चैन हाथ झटककर चलता बना
नींद का संग भी अब दुर्लभ बना
चांद तारों से मन बतियाने लगा
कभी गाने कभी सकपकाने लगा
बस यूं ही सबसे कतराने लगे
हम अपने से ही शरमाने लगे
जाने कब अपने से बेगाने हो गए
जिस पल तुम मीत से मितवा हुए
हम खुद ही खुद से अगवा हो गए

© Puja Puja

Comments

  1. वाह बहुत खूब पूजा जी सुंदर श्रृंगार रचना ।

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    1. बहुत बहुत आभार कुसुम जी आपकी सराहना से उत्साहित हूं पुनः आभार

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  2. बहुत ही शानदार ''मितवा '' अप्रिय पूजा जी |
    चैन हाथ झटककर चलता बना
    नींद का संग भी अब दुर्लभ बना
    चांद तारों से मन बतियाने लगा
    कभी गाने कभी सकपकाने लगा
    बस यूं ही सबसे कतराने लगे
    हम अपने से ही शरमाने लगे
    जाने कब अपने से बेगाने हो गए
    जिस पल तुम मीत से मितवा हुए
    हम खुद ही खुद से अगवा हो गए

    प्रेम में अनुरक्त और आकंठ लीन मन की भावनाएं अत्यंत सादगी से पिरोई है | प्रेम की पराकाष्ठा को छूती रचना बहुत मनमोहक बन पड़ी है | हार्दिक बधाई और शुभकामनायें स्वीकार हों |

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    1. आल्हादित हूँ.. रचना सार्थक हुई आभार... आभार रेणु जी।
      बात मेरे मन की तुझ तक पहुँची, इस से बड़ी बात और क्या सखी.....😘
      आभार

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    2. सुस्वागतम बहना ~~~~~

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  3. बहुत खूबसूरत रचना 👌👌👌
    मन को भा गई ....बड़े दिन बाद आप की रचना पढ़ी बहुत अच्छा लगा ...लिखते रहा कीजिये 🙏🙏🙏

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    1. धन्यवाद नीतू जी ,कोशिश रहेगी कि आपका स्नेह मिलता रहे ... कुछ अस्वस्थता, कुछ व्यस्तता, जिंदगी उलझी है इन्हीं जंजालों में, कैसे लहलहाए फ़सल शब्दों की खयालों में
      😊😊 आभार

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  4. बहुत सुन्दर रचना पूजा

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    1. हार्दिक आभार दी
      शुभ दिवस

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १० सितंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  6. बेहद खूबसूरत रचना

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  7. पथरीले रास्ते खुशबुओं से भर गए
    रीते नैनों के दामन सपनों से संवर गए
    होठों पर मुस्कुराहटें खिलखिलाने लगीं
    हँसी भी अब थोड़ा चुलबुलाने लगी
    ना जाने कब तुम जहाँ हो गए
    असीम भावों से सजी प्रेम पगी मनभावनी रचना....
    वाह!!!!

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