इस बार
इस बार भी हम दिवाली मनायेंगे
नए कलेवर से घर को सजाएंगे
रंगीन बल्बों की झालरें लगाएंगे
मुंडेरों पर दीप जगमगाएंगे
हर्षित मन होंगे, उल्लसित चेहरे होंगे
उत्सव मनाने के विकल्प बहुतेरे होंगे
फुलझड़ी, पटाखों का शोर होगा
हंसी -ठहाकों से घर -आंगन गूंजेगा
वस्त्रों गहनों की भरमार होगी
सुस्वादु व्यंजनों की बहार होगी
लक्ष्मी पूजन होगा, गणेश वंदन होगा
मित्रों -रिश्तेदारों का अभिनंदन होगा
दिवाली की धमाचौकड़ी में सब मशगूल होंगे
पर कहीं कुछ सपने, कुछ चेहरे गमगीन होंगे
कोई आंगन मायूस होगा, कोई खिड़की उदास होगी
कहीं किसी चौखट के बाहर आस पड़ी हताश होगी
लक्ष्मी किसी कोने में मुंह छुपाए बैठी होगी
नन्हें गणेशों की हुलसती नजरें
रोशन अट्टालिकाओं को तकती होंगी
तो क्यों ना इस बार दिवाली ऐसे मनाएं
एक नन्हा दिया किसी अंधेरी दहलीज पर जलाएं
सुने आंगन में कुछ आशाएं भर दें
उदास खिड़की पर उजाले की लड़ी टांक दें
हुलसती आंखों में खुशी के मोती सजा दें
खाली दामन में हंसी की फुलझडियां भर दें
एक नन्हा सा दिया जला दें
इस बार -----
__ Pujapuja
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