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Showing posts from April, 2018

चलो बंद बंद खेलते हैं

सलीके के मुखौटों के पीछे दम घुटने लगा है तहज़ीब के कपड़ों में बदन अकड़ने लगा है भलमनसाहत का बोझ असह्य होने लगा है सदाचार भी कदम कदम पर ठिठकने लगा है अच्छाई की बोरियत से बाहर निक...

चांद

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चपल चांद की चंचल चन्द्रिकायें चमक रही चहुँओर चित्त चुराये चोरी चोरी चिहुंके चकवी संग चकोर     -- Puja Puja